किन योगों के कारण होत है विवाह मे विलंब

किन योगों के कारण होत है विवाह मे विलंब

ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है। विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी है। इनके विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर विवाह के योग कब बनते हैं जान सकते हैं।
जब सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हों और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति में आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।
लग्न (प्रथम) भाव में, सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
सप्तम भाव में शनि और गुरु हो तो शादी देर होती है।
चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो तो विवाह में देरी होती है।
कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह की बातें होती रहती हैं, लेकिन विवाह काफी समय के बाद होता है।
चौथा भाव या लग्न भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति की रुचि शादी में नहीं होती है।

जल्द विवाह करने के लिए करें ये उपाय
मनचाहे वर प्राप्ति या शीघ्र विवाह कि मनोकामना के लिए शिव-पार्वती का पूजन करना चाहिए। इसके लिए जातक को रोजाना शिवलिंग पर कच्चा दूध, बेल पत्र, चावल, कुमकुम आदि अर्पटी कर पूजन करना चाहिए।
यदि जातक किसी भी पूर्णिमा पर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाता है तो जल्द ही उसकी विवाह संबंधी बाधा दूर होगी।
अगर कोई कन्या या पुरुष शीघ्र विवाह की कामना करता है तो उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेड़े पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए और इसके साथ ही थोड़ा सा गुड़ व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है|
इसके अतिरिक्त गुरुवार को ही वट(बरगद) वृक्ष, पीपल, केले के पेड़ पर जल अर्पित करने से भी विवाह बाधा दूर होती है|
यदि किसी माता पिता की कन्या की शादी में कोई बाधा उत्पन्न हो रही है तो पूजा के लिए पांच नारियल लें और भगवान शिव के आगे ॐ श्री वर प्रदाय श्री नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का आप 5 माला जाप करें। और फिर पांचों नारियल भगवान भोलेनाथ को अर्पित कर दें। ऐसा आपको 5 सोमवार करना है, शीघ्र ही आपकी विवाह बाढ़ दूर हो जाएगी।


कुंडली में सप्तम भाव बनाता है विवाह का योग

ज्योतिष भाव के अनुसार जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।